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#russian literature – @natkhat-sa-shyam on Tumblr
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purnima ka chand

@natkhat-sa-shyam

i doubt, i think, therefore i'm. एक लड़का जो किताबें, पुराने गाने, चाय और सिनेमा के पीछे पागल है🌻
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the fact that i'm no longer the same age as the protagonists of novels and films i once connected to is so heartbreaking. there was a time when I looked forward to turning their age. i did. and i also outgrew them. i continue to age, but they don't; never will. the immortality of fiction is beautiful, but cruel.

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Interviewer: Why is your privacy so important to you?

Szymborska: Otherwise, I couldn't write. I cannot imagine any writer who would not fight for his peace and quiet. Unfortunately, poetry is not born in noise, in crowds, or on a bus. There have to be four walls and the certainty that the telephone will not ring. That's what writing is all about.

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It's all art., the way you laugh. Your smile. Your wardrobe. The way you decorate your home. The way you dance. Your energy. Your collection of books. The way you write. Your playlists. Your grocery lists. Your friendships. It's all art. Your whole life is ART.

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We are very good at preparing to live, but not very good at living. We know how to sacrifice ten years for a diploma, and we are willing to work very hard to get a job, a car, a house, and so on. But we have difficulty remembering that we are alive in the present moment, the only moment there is for us to be alive.

Thich Nhat Hanh
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In Iceland, There's a tradition known as Jolabokaflod, which translates roughly to "Christmas book flood" in English.

Where books are exchanged on Christmas Eve,

then the tradition is to spend the rest of the night reading and eating chocolate.

That sounds absolutely perfect<<3

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तो तुम लेखक बनना चाहते हो ?

चार्ल्स बुकोवस्की

मत लिखो —

अगर फूट के ना निकले

बिना किसी वजह के

मत लिखो।

अगर बिना पूछे-बताए ना बरस पड़े,

तुम्हारे दिल और दिमाग़

और जुबाँ और पेट से

मत लिखो ।

अगर घण्टों बैठना पड़े

अपने कम्प्यूटर को ताकते

या टाइपराइटर पर बोझ बने हुए

खोजते कमीने शब्दों को

मत लिखो ।

अगर पैसे के लिए

या शोहरत के लिए लिख रहे हो

मत लिखो ।

अगर लिख रहे हो

कि ये रास्ता है

किसी औरत को बिस्तर तक लाने का

तो मत लिखो ।

अगर बैठ के तुम्हें

बार-बार करने पड़ते हैं सुधार

जाने दो ।

अगर लिखने की बात सोचते ही

होने लगता है तनाव

छोड़ दो ।

अगर किसी और की तरह

लिखने की फ़िराक़ में हो

तो भूल ही जाओ

अगर वक़्त लगता है

कि चिंघाड़े तुम्हारी अपनी आवाज़

तो उसे वक़्त दो

पर ना चिंघाड़े ग़र फिर भी

तो सामान बाँध लो ।

अगर पहले पढ़ के सुनाना पड़ता है

अपनी बीवी या प्रेमिका या प्रेमी

या माँ-बाप या अजनबी आलोचक को

तो तुम कच्चे हो अभी ।

अनगिनत लेखकों से मत बनो

उन हज़ारों की तरह

जो कहते हैं खुद को ‘लेखक’

उदास और खोखले और नक्शेबाज़

स्व-मैथुन के मारे हुए ।

दुनिया भर की लाइब्रेरियाँ

त्रस्त हो चुकी हैं

तुम्हारी क़ौम से

मत बढ़ाओ इसे ।

दुहाई है, मत बढ़ाओ ।

जब तक तुम्हारी आत्मा की ज़मीन से

लम्बी-दूरी के मारक रॉकेट जैसे

नहीं निकलते लफ़्ज़,

जब तक चुप रहना

तुम्हें पूरे चान्द की रात के भेड़िए-सा

नहीं कर देता पागल या हत्यारा,

जब तक कि तुम्हारी नाभि का सूरज

तुम्हारे कमरे में आग नहीं लगा देता

मत मत मत लिखो ।

क्योंकि जब वक़्त आएगा

और तुम्हें मिला होगा वो वरदान

तुम लिखोगे और लिखते रहोगे

जब तक भस्म नहीं हो जाते

तुम या यह हवस ।

कोई और तरीका नहीं है

कोई और तरीका नहीं था कभी ।

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